Dynamic Microphone vs Condenser mic in hindi – आज हम ध्वनि विस्तारक में अहम भूमिका निभाने वाले माइक्रोफोन डायनामिक और कंडेनसर माइक को विस्तार से समझेंगे। दोनों के मध्य किस प्रकार का भेद है , इनका प्रयोग किसके लिए ठीक है अथवा नहीं जान सकेंगे।
कंडेनसर माइक और डायनामिक माइक में वैज्ञानिक रूप से कुछ भिन्नता है। जिसके कारण उसके प्रयोग का क्षेत्र बट जाता है। आप किस माइक को चुने , इस लेख के बाद आप बेहद ही आसानी से समझ सकेंगे।
डायनामिक माइक तथा कंडेनसर माइक के अविष्कार से लेकर वर्तमान तक की स्थिति से भी अवगत हो सकेंगे
Dynamic Microphone vs Condenser mic in hindi
किसी भी माइक्रोफोन का मुख्य उद्देश्य ध्वनि का विस्तार करना होता है। मानव इसका प्रयोग मुख्य रूप से अपने मुख से उत्पन्न की हुई ध्वनि को विस्तार करने के लिए प्रयोग करता है। वर्तमान समय में प्रचलित रूप से दो प्रकार के माइक्रोफोन का प्रयोग देखने को मिलता है।
डायनामिक माइक तथा कंडेनसर माइक।
माइक्रोफोन का आविष्कार
माइक्रोफोन का वर्तमान समय में प्रयोग टेलीविजन , रेडियो , टेलीफोन , कंप्यूटर जैसे यंत्रों में किया जाता है। इसका मुख्य कार्य ध्वनि का विस्तार करना होता है। माइक्रोफोन किसी भी ध्वनि को इलेक्ट्रॉनिक / विद्युत रूप में परिवर्तित करती है। जिसके कारण ध्वनि का विस्तार विभिन्न यंत्रों के माध्यम से संभव हो पाता है।
मानव के मुख से उत्पन्न हुई ध्वनि तथा वायुदाब को माइक्रोफोन इलेक्ट्रॉनिक्स रूप में रूपांतरित करता है। इसका सर्वप्रथम प्रयोग 1965 में रॉबर्ट हुक के अविष्कार रूप में देखने को मिला। रॉबर्ट हुक ने तार और हवा के माध्यम से प्रयोग किया था। यह प्रयोग तार और हवा के द्वारा उत्पन्न हुई कंपन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ध्वनि का विस्तार करता था।
ध्वनि विस्तार के लिए यह प्रयोग नींव रूप साबित हुई।
इस प्रयोग के बाद माइक्रोफोन के प्रयोग को आदर्श स्थिति में लाने के लिए वैज्ञानिकों ने अविष्कार किए। दूसरा आविष्कार 1861 में देखने को मिलता है। जर्मनी के वैज्ञानिक जोहान फिलिप रीस ध्वनि ट्रांसमीटर का आविष्कार किया। यह हिल झिल्ली के रूप में था। यह ध्वनि को स्पष्ट रूप से एक जगह से दूसरी जगह प्रसारित करने में अधिक सफल नहीं हो सका। जिसके बाद 1876 में टेलीफोन का आविष्कार किया गया। यह अविष्कार एलेग्जेंडर ग्राहम बेल और अलीशा ग्रे ने मिलकर किया था। दोनों वैज्ञानिकों ने नए पद्धति को अपनाते हुए लिक्विड फॉम में अपना अविष्कार किया था।
1870 में डेविड एडवर्ड ह्यूजेस ने माइक्रोफोन का सफल प्रयोग कार्बन माइक्रोफोन के रूप में किया। यह पिछले सभी प्रयोगों से अधिक सफल रहा।
1877 में कार्बन माइक्रोफोन को एडिशन ने पेटेंट करवाया। यहां से उद्योग के क्षेत्र में माइक्रोफोन का प्रयोग क्रांतिकारी रहा। उद्योग जगत में टेलीफोन की आवाज को रिकॉर्ड करना व्यक्ति के आवाज को रिकॉर्ड करना आदि का महत्वपूर्ण कार्य किया गया। उद्योग धंधों में विशेष बल मिला।
1916 यह समय द्वितीय विश्वयुद्ध का था इस दौरान माइक्रोफोन का सफल प्रयोग सैनिकों के साक्षात्कार के रूप में किया गया।
1923 में उपर्युक्त सभी प्रयोगों का विकसित रूप देखने को मिला। इस समय के ट्रांसमीटर काफी प्रभावशाली और प्रयोगों के अनुकूल थे। यहां से निरंतर माइक्रोफोन का प्रयोग बढ़ता गया , जो आज भी संगीत के क्षेत्र में मील का पत्थर है।
डायनामिक माइक
डायनामिक शब्द की व्युत्पत्ति ‘डायनामो’ से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है शक्ति/पावर/ऊर्जा। डायनामिक माइक्रोफोन का प्रयोग वर्तमान समय में सर्वाधिक है।
इसमें कुछ खासियत और वैज्ञानिक पद्धति इस प्रकार है –
- डायनामिक माइक का मेकैनिज्म बेहद ही सरल है। इसके प्रयोग के लिए एक तार , क्वायल तथा एक मैग्नेट की आवश्यकता होती है।
- तार , क्वायल और मैग्नेट की सहायता से विद्युत सिद्धांत पर ध्वनि का विस्तार किया जाता है।
- वायुदाब या ध्वनि कंपन को मैग्नेटिक फील्ड में प्रवेश कराकर ध्वनि को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदला जाता है।
- डायनामिक माइक को बनाने में एक क्वायल , तार तथा मैग्नेट की आवश्यकता होती है।
- कोई भी ध्वनि इस यंत्र में प्रवेश करती है और कार्बन क्वायल से टकराकर विद्युत अभिक्रिया करते हुए तार के माध्यम से सटीक रूप में ध्वनि का रूपांतरण हो पाता है।
- इस माइक के प्रयोग में अधिक पावर तथा ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है।
- अधिक पावर अथवा ऊर्जा की आवश्यकता ना होने के कारण यह स्टेज शो अथवा किसी भी ध्वनि विस्तार के क्षेत्र में इसे आदर्श माना गया है।
- यह किसी भी मौसम तथा वातावरण में प्रयोग अनुकूल है।
- साधारण बनावट और सरल वैज्ञानिक पद्धति के कारण यह सस्ता तथा प्रयोग अनुकूल है।
कंडेनसर माइक
कंडेनसर माइक का प्रयोग संगीत की दुनिया में सर्वाधिक किया जाता है। इस माइक का प्रयोग अपने आवाज तथा ध्वनि संगीत आदि को रिकॉर्ड करने के लिए आदर्श माना गया है। वैज्ञानिक रूप से इस माइक को कैपिसिटर भी कहा जाता है यह कंडेनसर माइक के नाम से भी अधिक प्रचलित है।
इस माइक से जुड़ी समस्त जानकारी कुछ इस प्रकार है –
- कंडेनसर माइक की वैज्ञानिक पद्धति डायनामिक माइक से थोड़ी जटिल है।
- कंडेनसर माइक में एक इलेक्ट्रिक चार्ज प्लेट तथा मैमरन का प्रयोग किया जाता है।
- इलेक्ट्रिक प्लेट और मैमरन की सहायता से ध्वनि को वास्तविक रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स रूप में परिवर्तित किया जाता है।
- कंडेनसर अपने भीतर विद्युत चार्ज कर भंडार कर सकता है।
- मेंब्रेन और विद्युत प्लेट के बीच कंपन से ध्वनि का वास्तविक रूप में रूपांतरण संभव होता है
- डायनामिक माइक में जहां अधिक ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती थी। कंडेनसर माइक में फैंटम पावर तथा ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- फैंटम पावर या बाह्य ऊर्जा ध्वनि द्वारा वास्तविक रूप में ध्वनि बदलने की भूमिका निभाते हैं।
- डायनामिक माइक से अधिक जटिल संरचना होने के कारण कंडेनसर माइक महंगे होते हैं
- कंडेनसर माइक मौसम का बदलाव ठीक प्रकार से सहन नहीं कर पाता। इसलिए यह सभी प्रकार के वातावरण में प्रयोग नहीं होते।
- जिस जगह शोर अधिक हो वहां यह ठीक प्रकार से कार्य नहीं करते।
- कंडेनसर माइक अधिक सेंसेटिव होते हैं। अतः इनका प्रयोग स्टेज और खुले जगह पर नहीं हो सकता।
- कंडेनसर माइक का प्रयोग स्टूडियो और थिएटर के रिकॉर्डिंग में आदर्श माने गए हैं।
डायनामिक माइक तथा कंडेनसर माइक के बीच अंतर
अधिकतर माइक्रोफोन कार्डियोडीड पैटर्न तथा ओमनी पैटर्न पर कार्य करते हैं। कार्डियोडीड दिल के आकर का होता है। जिसमें एक ओर से ही आवाज ग्रहण करने की क्षमता होती है। ओमनी पैटर्न के माइक्रोफोन चारों ओर से आवाज को ग्रहण करते हैं। आवाज रिकॉर्डिंग के क्षेत्र में कार्डियोडीड पैटर्न का सराहनीय योगदान है।
यह वक्ता के आवाज के अतिरिक्त किसी और आवाज को ग्रहण नहीं करता। डायनामिक माइक विशेष रूप से कार्डियोडीड पैटर्न पर कार्य करते हैं। जबकि कंडेनसर माइक कार्डियोडीड पेटर्न तथा ओमनी पेटर्न दोनों पर कार्य करते हैं।
डायनामिक माइक | कंडेनसर माइक |
कार्डियोडीड पैटर्न | कार्डियोडीड पैटर्न तथा ओमनी पैटर्न |
आर्थिक रूप से सस्ता | डायनामिक माइक से महंगा |
क्वायल ,चुम्बक ,तार का प्रयोग | चार्ज प्लेट , मेमरन का प्रयोग |
सभी मौसम में प्रयोग किया जा सकता है | सभी मौसम में प्रयोग नहीं होता |
स्टेज , कीर्तन , में विशेष प्रयोग | आवाज रिकॉर्डिंग , स्टूडियो ,में प्रयोग |
खुल्ले वातावरण में प्रयोग संभव | बंद जगह प्रयोग संभव |
बाहरी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती | बाहरी ऊर्जा , फेंटम पवार की आवश्यकता होती है |
पॉडकास्टिंग , यूट्यूब , आवाज रिकॉर्डिंग में कारगर। | पॉडकास्टिंग ,यूट्यूब , आवाज रिकॉर्डिंग में कारगर। |
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